अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘हिन्दुस्तान’ ने इस बार की थीम ‘बैलेंस फॉर बेटर’ के तहत गुरुवार को कार्यालय में एक विशेष संवाद का आयोजन किया। इसमें महिलाओं का जीवन कैसे संतुलित-बेहतर और खुशनुमा बने, इस पर चर्चा की गई। संवाद में अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञों ने महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य और जीवन के सुझाव रखे। विशेषज्ञों ने सलाह दी कि महिलाएं तमाम कामों को जिम्मेदारी से करती हैं लेकिन वे खुद का ख्याल रखने की चिंता नहीं करती हैं, खुद की अनदेखी उनके लिए परेशानी का सबब बनती है। संवाद में शामिल विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने कहा कि महिलाओं का स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना जरूरी है, क्योंकि इसके बिना स्वास्थ्य समाज का निर्माण मुमकिन नहीं है। उन्होंने महिलाओं के लिए उपयोगी टिप्स भी सुझाएं।
महिलाओं पूरे घर को संभालती हैं। अगर वे कामकाजी हैं तो भी दूसरे दायित्वों को निभाती हैं लेकिन खुद की अनदेखी करती हैं। महिलाओं पोषित खुराक भी नहीं लेती हैं। ऐसे में उन्हें कमजोरी और दूसरी तकलीफों से जूझना पड़ता है। फोर्टिस गुड़गांव में वरिष्ठ स्त्री रोग परामर्शदाता डॉ. स्वाति मित्तल ने कहा कि महिलाएं साल में डॉक्टर के पास एक बार जरूर जाएं और अपने स्वास्थ्य की जांच कराएं। उन्होंने कहा कि सरकारी और प्राइवेट दोनों में महिलाओं की जांच और उपचार की सुविधाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमारी जीवन शैली बदली है उसमें नियमित अंतराल पर मेडिकल चेकअप की अहमियत बढ़ गई है। मित्तल ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि महिलाएं घबरा जाती हैं उन्होंने कहा कि महिलाओं का स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना जरूरी है, क्योंकि ऐसा होने पर ही वह अपने बच्चों और दूसरों का बेहतर ख्याल रख सकती हैं। उन्होंने कहा कि जब महिलाएं शिक्षित होंगी वे अपने बेटियों को आने वाले बदलाव के बारे में अवगत करा सकेंगी।
फिजियो एक्टिव इंडिया से जुड़ी नामचीन डायटिशन स्वाति बाथवाल ने महिलाओं को बेहतर जीवन और स्वस्थ्य रहने के लिए सीजनल फ्रूट और सब्जियां खाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को विटामिन-डी की कमी से काफी दिक्कत होती है। ऐसे में इसका जरूर ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि कद्दू के बीज अक्सर फेंक देते हैं लेकिन इसमें जिंक की मौजूदगी होती है। महिलाओं को कद्दू के बीज और सूरजमुखी के बीज जरूर खाने चाहिए। ऐसा करने से उन्हें तमाम सूक्ष्म पोषक तत्व मिलेंगे। जो उन्हें स्वस्थ्य बनाए रखने में मदद करेंगे। बाथबाल ने ऐसे में महिलाएं बच्चों पर खाने का दबाव बनाती हैं यह गलत ऐसे में बच्चों के शरीर में फैट सेल बन जाती हैं। ये सेल 18 साल की उम्र तक बनती हैं। इसके बाद ये सिर्फ बड़ी होती है। उन्होंने कहा कि वह महिलाओं से कहना चाहती हैं उन्हें मर्जी से खाने दे। बाथवाल ने कहा बड़े होने पर वजन घटाते हैं लेकिन करीब सात साल तक उसी वजन पर रहने पर ही वजन घटाना कारगर होता है। अन्यथा कोई मतलब नहीं है। पारस हास्पिटल में एसोसिएट डायरेक्टर और कॉर्डियोलॉजी विभाग के यूनिट हेड डॉ. अमित भूषण शर्मा ने कहा कि सीने के हर दर्द का संबंध ह्दय रोग की बीमारी से नहीं होता है। सीने में दर्द कई कारणों से होता है लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इसे ह्दय से जोड़ लेते हैं। इसी प्रकार धड़कन अगर तेज है तो इसका भी यह मतलब नहीं होता है कि ह्दय की बीमारी है। उन्होंने कहा थॉयराइड बढ़ने से धड़कन तेज होती है।
डॉ. अमित भूषण शर्मा ने कहा ह्दय के दर्द को उंगली से नहीं बताया जा सकता। ह्दय में दिक्कत आने पर छाती पर वजन भारीपन और बेचैनी, पसीना आता है। चलने पर बढ़ता है जबकि बैठने पर आराम मिलेगा। डॉ. अमित भूषण शर्मा ने कहा कि आजकल ओलीव ऑयल का फैशन चला हुआ है लेकिन यह उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा विदेशों में इस ऑयल का प्रयोग लैम्प जलाने में होता है। उन्होंने कहा कि इससे अच्छा है महिलाएं तिल का तेल, देशी घी, सरसों, रिफाइंड का तेल बेहतर है। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. रजनी गोयल खरे ने कहा कि महिलाओं में न्यूट्रीशियन लेवल गिर रहा है। उनमें अक्सर एनीमिया की समस्या भी आती है इससे बाल गिरते हैं। इसका एक कारण आजकल महिलाएं आंवला आदि खाने की बजाय फैंसी फूड को तवज्जो दे रही हैं। महिलाएं फ्रेश फूड और हेल्दी फूड ही खाएं। महिलाएं हैप्पी हैं तो परिवार हैप्पी रहेगा। समय पर खाएं, जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठे।
दर्द की न करें अनदेखी:
मैक्स हॉस्पिटल गुड़गांव में एसोसिएट डायरेक्टर और आर्थोपेडिक्स के यूनिट हेड डॉ. जेबीएस जग्गी ने शरीर की तुलना गाड़ी से करते हुए कहा कि जिस तरह समय-समय पर टायर में प्रेशर चेक करना होता है, उसी तरह शरीर की जांच करानी जरूरी है। कैल्शियम की कमी होने से हड्डियां कमजोर होती हैं। 60 साल के ऊपर के लोगों का ऑपरेशन में हड्डियां मजबूत पाई जाती हैं, लेकिन इससे कम आयु वर्ग में कमजोर हड्डी पाई जा रही है। इसका मुख्य कारण बाहर की चीजें खाना है। कैशिल्यम बढ़ाने के लिए लोग गोली खाते हैं। इससे महिलाओं को बचना चाहिए।
मेडिकल इश्योरेंस जरूर लें:
हरीपत्ती की संस्थापक और वित्त प्रबंधन की विशेषज्ञ के गुरुलीन कौर टिक्कू ने महिलाओं को भविष्य की योजना बनाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि आम तौर पर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा पांच साल अधिक जीवित रहती हैं। 11 फीसदी कम काम करती हैं और 25 फीसदी कम कमाती हैं। ऐसे में उन्हें वित्त प्रबंधन की आदत अपने जीवन में उतार लेनी चाहिए। यदि वह भविष्य के लिए योजना बनाकर वित्त प्रबंधन करें तो अकेले रहने के दौरान भी उन्हें किसी के ऊपर आश्रित नहीं रहना होगा। उन्होंने उदाहरण के साथ बताया कि आज भी वित्तीय मामले में महिलाएं पुरुषों पर आश्रित हैं। कई बार आत्मविश्वास की कमी की वजह से महिलाएं सोचती हैं कि वह वित्त प्रबंधन बेहतर नहीं कर पाएगी जबकि सच्चाई यह है कि यदि घर की व्यवस्था पुरुष 20 हजार रुपये में करता है तो महिलाएं उससे बेहतर व्यवस्था 10 से 15 हजार में ही कर लेती हैं।
पहले स्तर उठाएं आवाज:
सहायक पुलिस आयुक्त शकुंतला यादव ने महिलाओं को बोल्ड (निडर) बनने की सलाह दी। कहा कि उन्हें बोल्ड होना पड़ेगा। संकोच एवं आवश्यकता से अधिक भरोसा ही महिला अपराध को बढ़ावा देता है। इसकी शुरुआत घर से ही करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लड़की छोटी हो या बड़ी, कभी भी उसे ट्यूशन के लिए पुरुष शिक्षक के पास अकेले नहीं छोड़ना चाहिए। यदि कहीं छेड़छाड़ जैसी हरकत हो तो तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए। इससे आरोपी का मनोबल शुरू में ही टूट जाएगा। लेकिन यहां संकोच करने पर आरोपी दुष्कर्म तक के मंसूबे पाल सकता है। उन्होंने बताया कि समय के साथ महिलाओं में काफी जागरूकता आई है। लेकिन अभी भी आदमी की सोच पुरानी है।
विशेषज्ञों की सुनें:
फैंसी फ्रूट नहीं सबकुछ:
फैंसी फ्रूट खाने से ही पोषण नहीं मिलता है। अगर महिलाए दाल-रोटी के साथ अंकुरित चना भी खाएं तो भी उन्हें दिक्कत नहीं होगी। महिलाओं को सर्वाधिक बीमारियां खून की कमी से होती हैं। इसके अलावा महिलाएं सीढ़ियों का इस्तेमाल करे और टहलने को आदत बनाएं। ऐसा करने से उनकी अनचछी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
डॉ. स्वाति मित्तल, स्त्री रोग विशेषज्ञ
फ्रेश पर करें फोकस:
ऐसा खाने को प्रतिदिन न खाएं जो पूर्वज नहीं खाते थे, फ्रेश चीजों पर फोकस करें। सुपर मार्केट की कैचअप की बजाए टमाटर की चटनी का तवज्जो दें। विटामिन-सी के लिए आंवला और धनियां खाएं। महिलाएं अपने खाने अखरोट, अल्सी अगर शामिल करें तो उन्हें तमाम दिक्कतों से मुक्ति मिलेगी और उनका जीवन अधिक संतुलित और तनावमुक्त बनेगा।
स्वाति बाथबाल, डायटिशियन
जागरूकता की कमी:
महिलाओं को हेल्थ एजूकेशन देने से पूरे परिवार को फायदा होता है। पुरुष को शिक्षित करने पर सिर्फ उसे फायदा होता है। महिलाओं का जीवन तभी संतुलित बनेगा। जब वे खुद इसके प्रति जागरूक बनेगी। अगर महिलाओं को पता होगा कि उन्हें कौन सा तेल खाना है तो इसका पूरे परिवार को फायदा होगा। भारत में ह्दय, डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन ज्यादातर को इसके बारे में पता नहीं होता है।
डॉ. अमित भूषण शर्मा , एसोसिएट डायरेक्टर और कॉर्डियोलॉजी विभाग के यूनिट हेड – पारस हास्पिटल
कैल्शियम बहुत जरूरी:
एक बड़ी भ्रांति है कि अगर नहीं पैदल नहीं चलेंगे तो घुटने बच जाएंगे। ऐसा बिल्कुल नहीं है। हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी है। इसकी कमी नहीं होने दें अगर शाकहारी हैं तो बी-12 का भी ख्याल रखें। दर्द की अनदेखी बिल्कुल न करें क्योंकि इसकी अनदेखी और दर्द निवारक दवा खा लेने से तुरंत आराम तो मिलता है लेकिन आगे बीमारी बढ़ जाती है।
डॉ. जे बी एस जग्गी, मैक्स अस्पताल
महिलाएं सुपर वूमेन बनाना चाहती हैं। सबकुछ करना चाहती हैं। इससे दिक्कत होती है। महिलाओं को बैलेंस का भी पता नहीं होता है कि हमारा मस्तिष्क महत्वपूर्ण है। हम शरीर की जांच तो करवा लेते हैं लेकिन माइंड का ख्याल नहीं रखते हैं। हमारा दिमाग बहुत सही से सिग्नल देता है लेकिन मल्टीटॉस्किंग के चक्कर में हम नहीं समझते हैं। संतुलन के लिए शरीर साथ मेंटल हेल्थ भी महत्वपूर्ण है।
साक्षी मनध्यान, साइकोलॉजिस्ट/हैपीनेस कोच
महिलाएं अक्सर यौन संबंधी समस्याओं और दिक्कतों पर बात करने से घबराती हैं मुझे लगता है कि इस तरफ ज्यादा जागरूकता की जरूरत है। खासकर बेटियों में। उन्हें आने वाले बदलावों के बारे में पता नहीं होता है। वे डरती हैं। ऐसे में महिलाओं की जिम्मेदारी हैं कि खुलकर इस विषय पर बात करें।
डॉ. सारिका सिंह, स्त्री रोग विशेषज्ञ, नारायणा हॉस्पिटल
महिलाओं को काफी युवा वस्था में बाल झड़ने की समस्याएं आ रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम पैक्ड फूड को तवज्जों दे रहे हैं। इससे दिक्कतें हो रहीं है। महिलाओं को अपना ख्याल रखना सीखना होगा। जब वे स्वस्थ्य होंगी तभी खुश होंगी। तभी परिवार भी खुश होगा। बच्चों को भी सफल मां की बजाए खुश मां की जरूरत होती है। वे अपनी मां से ही सीखते हैं।
डॉ. रजनी गोयल खरे, त्वचा रोग विशेषज्ञ
महिलाओं को थकान की समस्या काफी आम है। ऐसा खून की कमी से होता है। अगर वे खुद का ख्याल रखेंगी तभी ये समस्या दूर होगी। वे स्वस्थ्य रह पाएंगी। महिलाएं वैक्सीनेशन का सहारा ले सकती हैं। ऐसे करने से उनका बीमारी से बचाव होगा। गंभीर बीमारी का शिकार नहीं होंगी। इतना ही नहीं उन्हें बिना डॉक्टर से पूछ दवा खाने की आदत में बदलाव लाना होगा।
डॉ. आकांक्षा रस्तोगी, फिजिशियन, मेदांता मेडीसिटी